Two Children Drowned in a Pond: सरगुजा : सरगुजा जिले के सिलसिला गांव में रविवार को दो मासूम बच्चों की डबरी (छोटे जलाशय) में डूबने से दर्दनाक मौत हो गई। मृतक बच्चे, जुगनू और सूरज, गिरी परिवार से थे और दोनों की उम्र करीब 5-5 साल थी। इस हृदयविदारक हादसे के बाद पूरे इलाके में शोक की लहर फैल गई।

Two Children Drowned in a Pond
परिजनों का आरोप है कि जब वे बच्चों के शव को पोस्टमार्टम के लिए रघुनाथपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे, तो वहां तैनात डॉक्टर ने पोस्टमार्टम के बदले 10-10 हजार रुपये की मांग की। शाम होने के कारण उसी दिन पोस्टमार्टम नहीं किया गया। अगले दिन जब परिजन दोबारा अस्पताल पहुंचे, तब भी पैसों की मांग की गई। मामला मीडिया में आने के बाद ही पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी की गई।

सबसे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति तब सामने आई जब पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को शव वाहन उपलब्ध नहीं कराया गया। मजबूरी में, परिवार को दोनों बच्चों के शव बोरियों में रखकर मोटरसाइकिल से घर ले जाना पड़ा। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठने लगे।
इस अमानवीय घटना के विरोध में जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बालकृष्ण पाठक ने पूर्व महापौर डॉ. अजय तिर्की के नेतृत्व में आठ सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है, जो पूरे मामले की गहराई से जांच करेगी।
जांच कमेटी में शामिल सदस्य:
डॉ. अजय तिर्की (पूर्व महापौर)
श्री द्वितेंद्र मिश्रा (पीसीसी महामंत्री)
श्री हेमंत सिन्हा (ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष, अंबिकापुर शहर)
श्री विनय शर्मा (ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष, अंबिकापुर ग्रामीण)
श्रीमती सीमा सोनी (अध्यक्ष, महिला कांग्रेस)
श्रीमती निमन राशि एक्का (पार्षद)
श्री गुरुप्रीत सिद्धू (कांग्रेस प्रवक्ता)
यह कमेटी स्थायी स्वरूप में गठित की गई है और इसे 3 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।

मामला बढ़ने के बाद स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने इस घटना पर कड़ी नाराजगी जताई और पूरी घटना की रिपोर्ट मांगी। जिला प्रशासन की टीम 24 घंटे बाद गांव पहुंची और पीड़ित परिवार से मुलाकात की। जांच में लापरवाही उजागर होने पर संबंधित बीएमओ डॉ. राघवेंद्र चौबे को निलंबित कर दिया गया, साथ ही अस्पताल के एक अन्य चिकित्सक को भी हटाया गया है।
यह घटना न केवल प्रशासनिक संवेदनहीनता को उजागर करती है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली और जवाबदेही की कमी पर भी सवाल खड़े करती है।
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