किराने की दुकान में बिना डिग्री और रजिस्ट्रेशन के इलाज, दवाइयों के साथ इलाज जारी : Treatment Without Degree and Registration

Treatment Without Degree and Registration

Treatment Without Degree and Registration:अंबिकापुर: अंबिकापुर के पास एक गांव में एक अजीब और चिंताजनक मामला सामने आया है। यहां एक किराने की दुकान के अंदर ही इलाज किया जा रहा है। इस दुकान में न तो इलाज करने वाले के पास डॉक्टर की डिग्री है, न ही कोई सरकारी रजिस्ट्रेशन है। फिर भी यहां लोग अपनी बीमारी का इलाज करवाने आ रहे हैं और दुकानदार उन्हें दवाइयां भी दे रहा है।

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Treatment Without Degree and Registration

यह दुकान पिछले कई महीनों से चल रही है। दुकान में एक तरफ रोजमर्रा का सामान जैसे चावल, दाल, तेल, नमक, बिस्किट, साबुन आदि बिकते हैं। दूसरी तरफ दुकान के एक कोने में दवाइयों का डिब्बा रखा हुआ है। जब कोई बीमार व्यक्ति दुकान में आता है, तो दुकानदार उसकी परेशानी सुनता है और अपने हिसाब से दवा दे देता है। कभी-कभी वह इंजेक्शन भी लगा देता है।

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गांव के लोग बताते हैं कि आसपास के इलाके में कोई असली डॉक्टर नहीं है। सरकारी अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र दूर है, वहां तक जाना मुश्किल है। ऐसे में लोगों को मजबूरी में इस दुकान पर आना पड़ता है। दुकानदार को लोग डॉक्टर कहकर बुलाते हैं, जबकि उसके पास न तो डॉक्टर बनने की कोई डिग्री है और न ही सरकार से इलाज करने की इजाजत। बिना डिग्री और बिना रजिस्ट्रेशन के इलाज करना बहुत खतरनाक है। दुकानदार को दवाओं के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती, जिससे गलत दवा या गलत इलाज से मरीज की हालत और बिगड़ सकती है। कई बार गंभीर बीमारियों के मरीज भी इसी दुकान पर इलाज करवाने आ जाते हैं, जिससे उनकी जान को खतरा हो सकता है।

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यह मामला अभी तक प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की नजर में नहीं आया है, या फिर उन्होंने जानबूझकर अनदेखा किया है। अगर प्रशासन ध्यान दे, तो ऐसे अवैध क्लीनिक को तुरंत बंद किया जा सकता है। गांव के लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार डॉक्टर की मांग की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। गांव के लोगों ने प्रशासन से अपील की है कि इस तरह की अवैध दुकानें और झोलाछाप डॉक्टरों पर तुरंत कार्रवाई हो। साथ ही गांव में असली डॉक्टर और स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था की जाए, ताकि लोगों को सही इलाज मिल सके और उनकी जान को खतरा न हो।

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किराने की दुकान में इलाज का यह मामला बहुत गंभीर है। इससे साफ पता चलता है कि गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं की कितनी कमी है और प्रशासन कितना लापरवाह है। अब देखना है कि प्रशासन कब जागता है और गांव के लोगों को सही इलाज और सुरक्षा मिलती है या नहीं।

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