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बस्तर की लाल चींटी की चटनी: स्वाद और सेहत का अनोखा संगम : Red Ant Chutney of Bastar A Unique Combination of Taste and Health

Red Ant Chutney of Bastar A Unique Combination of Taste and Health

Red Ant Chutney of Bastar A Unique Combination of Taste and Health : अम्बिकापुर : छत्तीसगढ़ के बस्तर जिला की आदिवासी जनता द्वारा पारंपरिक रूप से बनाई जाने वाली लाल चींटी की चटनी (जिसे स्थानीय भाषा में “चापड़ा चटनी” या “काई चटनी” कहा जाता है) एक खास और स्वास्थ्य लाभ से भरपूर व्यंजन है। यह चटनी जंगलों में मिलने वाली लाल बुनेर चींटियों से तैयार की जाती है, जो अपनी खास खुशबू और स्वाद के लिए जानी जाती है। आइए, विस्तार से जानते हैं इसका निर्माण, स्वास्थ्य लाभ और इससे जुड़ी रहस्यमयी बातें।

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Red Ant Chutney of Bastar A Unique Combination of Taste and Health लाल चींटी की चटनी कैसे बनती है?

लाल बस्तर और आसपास के जंगलों में जो लाल बुनेर चींटियाँ पाई जाती हैं, उन्हें सावधानी से चुना जाता है। चींटियों के साथ उनके अंडों को भी इकट्ठा किया जाता है। इन चींटियों और उनके अंडों को अच्छी तरह साफ करके मिर्च, लहसुन, अदरक, और नमक के साथ हांडिया या मूसल से पीसा जाता है। इस प्रक्रिया से चींटियों के तीखे और खट्टे स्वाद वाली चटनी बनती है।

कई बार इसमें टमाटर या हरी मिर्च भी मिलाई जाती है जिससे इसका स्वाद और भी बढ़ जाता है। इस चटनी का रंग लाल होता है और यह तीखी, खट्टी और मसालेदार होती है। इसकी एक खास बात यह है कि चींटियों के शरीर में फॉर्मिक एसिड पाया जाता है जो इसे विशिष्ट बनाता है।

स्वास्थ्य लाभ

लाल चींटी की चटनी में फॉर्मिक एसिड होने के कारण इसे कई तरह की औषधीय गुणों से जोड़कर देखा जाता है। यह चटनी निम्नलिखित स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है:

  • प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है: यह शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता को मजबूत करती है।
  • मलेरिया और टाइफाइड से बचाव: बस्तर के आदिवासी समुदायों में माना जाता है कि लाल चींटी की चटनी मलेरिया और टाइफाइड जैसे बुखारों में लाभकारी है।
  • पाचन में सुधार: यह मसालेदार चटनी पाचन तंत्र को बेहतर बनाती है और गैस या पेट की परेशानियों में राहत देती है।
  • शरीर में ऊर्जा बढ़ती है: इसमें मौजूद पोषक तत्व शरीर को सक्रिय और ऊर्जावान बनाए रखते हैं।
  • एंटीबैक्टीरियल गुण: फॉर्मिक एसिड के कारण यह चटनी जीवाणुरोधी होती है, जो संक्रमण से बचाती है।

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रहस्यमयी बातें

  • चींटियों का डंक: लाल बुनकर चींटियों का डंक बहुत तीखा होता है। स्थानीय लोग कहते हैं कि यदि कोई गलती से डंक लग जाए तो त्वचा पर फफोले भी़ पड़ सकते हैं। फिर भी जब ये चींटियां चटनी में मिलती हैं तो उनका तीखापन और डंक का असर कम हो जाता है।
  • प्राकृतिक औषधि: यह चटनी आदिवासियों के लिए सिर्फ स्वादिष्ट व्यंजन नहीं, बल्कि प्राकृतिक दवाइयों के समान है। कई बार जब आसपास के इलाकों में मलेरिया या अन्य बीमारियां फैलती हैं तब लोग इसे उपचार के तौर पर खाते हैं।
  • संस्कृति का हिस्सा: बस्तर के आदिवासी समुदायों में यह चटनी भोजन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे कभी-कभी त्योहारों और खास अवसरों पर भी बनाया जाता है और नए मेहमानों को यह संस्कृति से परिचित कराने के लिए परोसा जाता है।

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छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र की लाल चींटी की चटनी न केवल एक प्राचीन और अनूठा स्वाद प्रस्तुत करती है, बल्कि यह सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद है। इसके औषधीय गुण, रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि, और पाचन सुधार इसकी लोकप्रियता के प्रमुख कारण हैं। साथ ही, यह चटनी स्थानीय आदिवासी संस्कृति और उनके जीवन तरीका का अभिन्न हिस्सा है, जो प्राकृतिक संसाधनों से जुड़ी एक रहस्यमयी परंपरा को जीवित रखती है।

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इस अनोखी चटनी का स्वाद लेने और इसके स्वास्थ्य लाभ जानने के लिए अब यह पारंपरिक व्यंजन धीरे-धीरे शहरों में भी लोकप्रिय होता जा रहा है। यदि आप कभी बस्तर जाएं तो इस लाल चींटी की चटनी को जरूर ट्राई करें, जो न केवल आपकी रुचि बढ़ाएगी बल्कि आपको प्रकृति की दी हुई यह अनमोल देन भी महसूस कराएगी।

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