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मुठिया: छत्तीसगढ़ का पोषण से भरपूर पारंपरिक व्यंजन और इसके स्वास्थ्य लाभ : Muthia A Nutritious Traditional Dish of Chhattisgarh

Muthia A Nutritious Traditional Dish of Chhattisgarh

Muthia A Nutritious Traditional Dish of Chhattisgarh : अम्बिकापुर : मुठिया छत्तीसगढ़ी खान-पान की एक अनमोल परंपरा है, जो सदियों से यहां के लोगों की थाली में स्वाद और पोषण दोनों भरता आया है। यह व्यंजन विशेष रूप से चावल के आटे और दाल के मिश्रण से बना होता है और इसे तलने की बजाय उबाल या भाप में पकाया जाता है, जिससे यह बहुत हल्का, सुपाच्य और स्वास्थ्य के लिहाज से बेहतर विकल्प साबित होता है।

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Muthia A Nutritious Traditional Dish of Chhattisgarh मुठिया का निर्माण और सामग्री

मुठिया बनाने में आमतौर पर चावल का आटा प्रमुख होता है। इसके साथ चने की दाल, तिल, सौंफ, सरसों के दाने, हल्दी, हरी मिर्च, लहसुन, और हरा धनिया जैसे ताजे मसाले मिलाए जाते हैं। कभी-कभार मूली, करेला, लौकी या पत्तागोभी जैसी मौसमी सब्जियों को भी शामिल किया जाता है जो मुठिया को और अधिक पौष्टिक बनाते हैं। इन सामग्रियों को मिलाकर बनाए गए छोटू-छोटे गोले या बेलनाकार आकार के मुठियों को भाप में पकाया जाता है। पकाने के बाद मुठिया की बनावट नर्म होती है और इसका स्वाद हल्का तीखा और सुगंधित होता है।

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मुठिया का सांस्कृतिक महत्व

छत्तीसगढ़ में मुठिया न केवल रोजमर्रा के खाने का हिस्सा है, बल्कि यह त्योहारों, सामाजिक आयोजनों और खास अवसरों पर भी बड़े प्रेम से बनाया और खाया जाता है। पुराने समय से यह व्यंजन छत्तीसगढ़ी आत्मीयता और घर की गर्माहट का प्रतीक माना जाता रहा है। छोटे-छोटे गाँवों में भी मुठिया को बनाने की अपनी अलग विधि और स्वाद पाए जाते हैं, जो इस व्यंजन की विविधता को दर्शाते हैं।

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स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से मुठिया के लाभ

  1. पाचन में सहायक: चूंकि मुठिया को तला नहीं जाता, यह भारी भोजन की तुलना में आसानी से पच जाता है। भाप में पकाने की विधि इसे हल्का और सुपाच्य बनाती है, जो विशेषकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए फायदेमंद है।
  2. ऊर्जा का स्रोत: चावल और दालों का मेल मुठिया को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर बनाता है, जो शरीर को आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है।
  3. कम वसा और हृदय के लिए लाभकारी: तेल के बजाय भाप में पकने की वजह से मुठिया में वसा की मात्रा बहुत कम होती है, जिससे यह हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में मददगार होता है।
  4. फाइबर से भरपूर: अगर मुठिया में सब्जियां जैसे पत्तागोभी, मूली या लौकी शामिल की जाएं, तो यह फाइबर का अच्छा स्रोत बन जाता है। फाइबर पाचन क्रिया को दुरुस्त रखता है और कब्ज जैसी समस्याओं से बचाता है।
  5. प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है: मुठिया में डाले जाने वाले मसाले जैसे लहसुन, मिर्च और करी पत्ता एंटीऑक्सिडेंट का काम करते हैं, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती है।
  6. ग्लूटेन मुक्त विकल्प: चावल का आटा सामान्य गेहूं के आटे की तुलना में ग्लूटेन मुक्त होता है, इसलिए यह उन लोगों के लिए भी उपयुक्त है जिन्हें ग्लूटेन की समस्या होती है।

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मुठिया का सरल और पारंपरिक बनाने का तरीका

मुठिया बनाने के लिए सबसे पहले चावल के आटे और भिगोई हुई दालों को मिलाया जाता है। फिर इसमें मसाले, हरी मिर्च, लहसुन, और तिल मिलाकर आटे जैसी गाढ़ी मिश्रण तैयार की जाती है। इस मिश्रण को छोटे-छोटे आकार में बनाकर कुकर या स्टीमर में भाप देना होता है। पक जाने पर ये नरम, स्वादिष्ट और पौष्टिक बन जाते हैं। इन्हें हरी चटनी, दही या सूप के साथ परोसा जाता है।

मुठिया न केवल एक स्वादिष्ट और परंपरागत व्यंजन है, बल्कि यह भोजन के स्वास्थ्यवर्धक विकल्पों में भी शामिल है। इसकी पौष्टिकता, कम वसा वाली बनावट और डाइजेस्टिबिलिटी इसे छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए विशेष बनाती है। यह व्यंजन संतुलित आहार का हिस्सा बन सकता है, जो शरीर को पोषण देते हुए स्वाद का आनंद भी प्रदान करता है।

यदि आप स्वस्थ रहना चाहते हैं और साथ ही स्थानीय संस्कृति का स्वाद लेना चाहते हैं, तो मुठिया आपके लिए एक उत्तम विकल्प है। इसे अपनी थाली में शामिल करके आप न केवल पारंपरिक स्वाद का अनुभव करेंगे, बल्कि सेहतमंद भी रहेंगे।

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