Major Action Against Naxalites: छत्तीसगढ़ नक्सल : छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर स्थित कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन चलाया। इस अभियान में सुरक्षाबलों ने 31 कुख्यात नक्सलियों को मार गिराया, जिससे नक्सल नेटवर्क को बड़ा झटका लगा है। कर्रेगुट्टा पहाड़ी को नक्सलियों का मजबूत गढ़ और यूनिफाइड हेडक्वार्टर माना जाता था, जहां PLGA बटालियन 1, DKSZC, TSC और CRC जैसी नक्सल संस्थाओं की गतिविधियां संचालित होती थीं। यहीं पर नक्सलियों को ट्रेनिंग दी जाती थी, रणनीति बनाई जाती थी और खतरनाक हथियार भी तैयार किए जाते थे।

Major Action Against Naxalites ऑपरेशन की सफलता
सुरक्षाबलों की इस ऐतिहासिक सफलता के बाद कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर अब तिरंगा शान से लहरा रहा है। जिस स्थान पर कभी लाल आतंक का बोलबाला था, वहां अब शांति और सुरक्षा का माहौल है। इस ऑपरेशन को नक्सलवाद के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई माना जा रहा है, जिससे नक्सलियों के हौसले पस्त हुए हैं।

अमित शाह ने की सराहना
देश के गृहमंत्री अमित शाह ने इस अभियान में शामिल सुरक्षाबलों की बहादुरी और समर्पण की सराहना की है। उन्होंने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) पोस्ट में लिखा,
“#NaxalFreeBharat के संकल्प में एक ऐतिहासिक सफलता प्राप्त करते हुए सुरक्षा बलों ने नक्सलवाद के विरुद्ध अब तक के सबसे बड़े ऑपरेशन में छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा के कर्रेगुट्टा पहाड़ पर 31 कुख्यात नक्सलियों को मार गिराया। जिस पहाड़ पर कभी लाल आतंक का राज था, वहाँ आज शान से तिरंगा लहरा रहा है।”
नक्सल नेटवर्क को बड़ा झटका
कर्रेगुट्टा पहाड़ी नक्सलियों के लिए रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण थी। यह क्षेत्र नक्सल ट्रेनिंग, हथियार निर्माण और रणनीति बनाने का केंद्र था। सुरक्षाबलों की कार्रवाई के बाद नक्सलियों के इस मजबूत अड्डे का सफाया हो गया है, जिससे पूरे इलाके में सुरक्षा बलों का मनोबल और जनता का विश्वास बढ़ा है।

आगे की रणनीति
सरकार ने स्पष्ट किया है कि नक्सलवाद के खिलाफ यह मुहिम जारी रहेगी और देश को नक्सल मुक्त बनाने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे। इस बड़ी कार्रवाई के बाद सुरक्षा एजेंसियां और सतर्क हो गई हैं तथा अन्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी अभियान तेज कर दिए गए हैं।
यह ऑपरेशन न केवल सुरक्षाबलों की बहादुरी का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि अब नक्सलियों के गढ़ भी सुरक्षित भारत के संकल्प के आगे कमजोर पड़ते जा रहे हैं।
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