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छत्तीसगढ़ महिला आयोग की सुनवाई, हत्या, पुलिस कस्टडी में मारपीट और भरण-पोषण के मामलों में सख्त निर्देश:Hearing of Chhattisgarh Women Commission

Hearing of Chhattisgarh Women Commission

Hearing of Chhattisgarh Women Commission: अम्बिकापुर, 14 मई 2025 – छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने बुधवार को जिला पंचायत सभाकक्ष, अम्बिकापुर में महिला उत्पीड़न से जुड़े 43 मामलों की सुनवाई की। इस दौरान हत्या, पुलिस कस्टडी में मारपीट, घरेलू हिंसा, भरण-पोषण, और कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न जैसे गंभीर विषयों पर त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए गए।

Hearing of Chhattisgarh Women Commission: हत्या और पुलिस कस्टडी में मारपीट के मामलों में जांच के आदेश

एक मामले में आवेदिका ने आरोप लगाया कि थाना सूरजपुर के प्रभारी ने तीन दिन तक थाने में उसके साथ शारीरिक और मानसिक अत्याचार किया। इस पर आयोग अध्यक्ष ने सरगुजा आईजी और सूरजपुर एसपी को 15 दिनों में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का पत्र लिखा है। साथ ही, संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ शोकॉज नोटिस जारी करने की अनुशंसा की गई है। आयोग ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।

मृतका मां-बेटी की संदिग्ध मौत: अधिकारियों पर सवाल

एक अन्य मामले में मृतका और उसकी 6 वर्षीय पुत्री की संदिग्ध फांसी की घटना पर आयोग ने पुलिस जांच में लापरवाही पाई। दोनों के पैर जमीन पर होने के बावजूद इसे आत्महत्या बताया गया, जबकि डॉ. टीम की रिपोर्ट के आधार पर हत्या की आशंका जताई गई। आयोग ने मृतका की फोटो और नोटशीट आईजी सरगुजा को भेजने और सभी जांच अधिकारियों को शोकॉज नोटिस जारी करने की सिफारिश की है। एसपी सरगुजा को 15 दिन में जांच पूरी कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं।

भरण-पोषण और बच्चों की कस्टडी पर आयोग का सख्त रुख

एक प्रकरण में पति-पत्नी छह महीने से अलग रह रहे हैं और दोनों बच्चे पति के पास हैं। पति बैंगलोर में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और 1.25 लाख रुपये मासिक वेतन पाता है। आयोग ने संरक्षण अधिकारी को निगरानी का जिम्मा सौंपा है और आदेश दिया कि पति आवेदिका को 25,000 रुपये प्रतिमाह भरण-पोषण देगा। छह महीने बाद निगरानी रिपोर्ट के आधार पर आगे की सुनवाई रायपुर में होगी।

कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न: पीड़िता को राहत

एक मामले में स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मिडियम स्कूल की शिक्षिका ने कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत की थी। जांच में प्राचार्य दोषी पाए गए और उन्हें निलंबित किया गया, लेकिन पीड़िता का स्थानांतरण 80 किमी दूर कर दिया गया। आयोग ने इसे कानून के खिलाफ मानते हुए आदेश दिया कि पीड़िता को पूर्ववत स्कूल में काम करने की अनुमति दी जाए और स्थानांतरण आदेश निरस्त किया जाए। कलेक्टर सरगुजा को तीन माह में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं।

अन्य मामलों में भी त्वरित कार्रवाई

सुनवाई के दौरान छह प्रकरण नस्तीबद्ध किए गए, तीन को रायपुर भेजा गया और कई मामलों में दोनों पक्षों की उपस्थिति में समझौता कराया गया। आयोग ने स्पष्ट किया कि महिला उत्पीड़न के मामलों में त्वरित न्याय और राहत दिलाना उसकी प्राथमिकता है। भरण-पोषण, बच्चों की कस्टडी, घरेलू हिंसा और कार्यस्थल उत्पीड़न जैसे मामलों में आयोग लगातार निगरानी और हस्तक्षेप कर रहा है।

महिला आयोग की सक्रियता से पीड़िताओं को राहत

डॉ. किरणमयी नायक ने कहा, “महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और त्वरित न्याय के लिए आयोग पूरी तरह प्रतिबद्ध है। हर शिकायत की गंभीरता से जांच की जाएगी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।”

महिला आयोग की इस सुनवाई ने एक बार फिर साबित किया कि छत्तीसगढ़ में महिला अधिकारों की रक्षा के लिए सशक्त तंत्र मौजूद है, जो हर पीड़िता की आवाज को बुलंद करने के लिए तत्पर है।

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