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भाजपा जिला अध्यक्ष समेत 7 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज : FIR Lodged Against 7 people Including BJP District President

FIR Lodged Against 7 people Including BJP District President

FIR Lodged Against 7 people Including BJP District President: अम्बिकापुर :भाजपा जिला अध्यक्ष समेत 7 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज ,सरगुजा जिला भाजपा अध्यक्ष भारत सिंह सिसोदिया पर दर्ज किया गया है धोखाधड़ी का केस,कांग्रेस नेता राजीव अग्रवाल के खिलाफ भी दर्ज हुआ है केस,पुलिस ने धारा 420 और 34 के तहत रजिस्टर्ड किया है केस,जमीन खरीदने के बाद जमीन मालिक को पूरा रुपए नहीं देने का है मामला, विधवा महिला की जमीन को खरीदने के बाद पूरा रुपए नहीं देने का है मामला, 1.40 करोड़ रुपए जमीन मालिक को नहीं देने का सामने आया था मामला,कोर्ट ने पुलिस को जांच कर अपराध दर्ज करने का दिया था आदेश, जिला सत्र न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने दर्ज किया अपराध ।

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FIR Lodged Against 7 people Including BJP District President

मैं थाना अम्बिकापुर में थाना प्रभारी निरीक्षक के पद पर पदस्थ हूं। थाना से कोर्ट कार्य करने वाली महिला आर 345 नीलम यादव के द्वारा न्यायालय (सुमित कुमार हरियाना) मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अम्बिकापुर जिला सरगुजा छ.ग के अपंजीकृत (परिवाद) प्रकरण चंद्रमणी देवी कुशवाहा वगे. विरुद्ध दिनेश कुमार सिंह वगे. आदेश दिनांक 18.06.2025 पेश किया गया।

माननीय न्यायालय के आदेश का अवलोकन किया गया माननीय न्यायालय के द्वारा आवेदकगण की ओर से प्रस्तुत प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 156 (3) दंड प्रक्रिया संहिता स्वीकृत किया जाकर आदेशित किया गया है कि प्रार्थना पत्र के प्रकाश में अनियमितता किये जाने वाले पक्षकारों के संबंध में जांच कर पाये गये प्रकाश में सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत कर नियमानुसार आदेशानुसार विवेचना करें तथा प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना सुनिश्चित करें।

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माननीय न्यायालय के आदेश के परिपालन में परिवाद पत्र में उल्लेखित अनावेदकगणों द्वारा अनियमितता किये जाने के संबंध में दस्तावेजों के अवलोकन पर प्रथम दृष्टया अपराध सदर धारा 420, 34 भादवि परिलक्षित होने से अनावेदकगण दिनेश कुमार सिंह व अन्य 06 के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया नकल परिवाद पत्र जैल है – न्यायालय श्रीमान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट महोदय, अम्बिकापुर, जिला-सरगुजा, छत्तीसगढ़ परिवाद प्रकरण क्रमांक अपंजीकृत /2023 1. श्रीमती चन्द्रमणी देवी कुशवाहा पुत्री स्वर्गीय लक्ष्मण कुशवाहा, पत्नी स्वर्गीय ददन राम कुशवाहा, उम्र लगभग 70 वर्ष, जाति कोईर, निवासी वार्ड नंबर 03, डेयरी फार्म रोड, गांधीनगर, अम्बिकापुर, थाना गांधीनगर, पोस्ट व तहसील अम्बिकापुर, जिला सरगुजा, छत्तीसगढ 2. श्रीमती कलावती कुशवाहा पुत्री ददनराम कुशवाहा, उम्र लगभग 75 वर्ष, जाति कोईर निवासी देवलापारा, भैयाथान, थाना पोस्ट तहसील- भैयाथान, जिला-सूरजपुर छ0ग0 परिवादिनीगण प्रति,

1. दिनेश कुमार सिंह आत्मज श्री रामाधार सिंह, उम्र लगभग 60 वर्ष, जाति क्षत्रिय पेशा-वकालत, निवासी-मिश्रा होटल के सामने, गांधीनगर, होलीक्रास स्कूल के पीछे बनारस रोड, तहसील व पोस्ट-अम्बिकापुर, जिला सरगुजा छ0ग0

2 रविकान्त सिंह आत्मज स्वर्गीय श्री नरेन्द्र सिंह, उम्र लगभग 50 वर्ष, जाति क्षत्रिय पेशा-जमीन खरीदी-बिक्री का व्यवसाय, निवासी प्रतापपुर रोड, ग्राम सरगवां, अम्बिकापुर, जिला-सरगुजा, छ0ग0

3. भारत सिंह सिसोदिया आत्मज श्री पी. एस. सिसोदिया, उम्र लगभग 49 वर्ष, जाति क्षत्रिय, पेशा-जमीन खरीदी-बिक्री का व्यवसाय, निवासी साईं मंदिर रोड, रावत रेसीडेन्सी, भगवानपुर, अम्बिकापुर, तहसील व पोस्ट अम्बिकापुर, जिला-सरगुजा, छ0ग0

4 नीरज प्रकाश पाण्डेय आत्मज श्री वेद प्रकाश पाण्डेय, उम्र लगभग 48 वर्ष, जाति ब्राह्मण पेशा जमीन खरीदी-बिक्री का व्यवसाय निवासी मकान नंबर 12/192, रिंग रोड, महामाया पेट्रोल पंप के पास, नमनाकला, अम्बिकापुर थाना गांधीनगर, तहसील व पोस्ट-अम्बिकापुर, जिला। सरगुजा, छ0ग0

5 राजेश सिंह आत्मज श्री लालजी सिंह, उम्र लगभग 53 वर्ष, जाति क्षत्रिय, पेशा जमीन खरीदी-बिक्री का अम्बिकापुर थाना गांधीनगर, तहसील व पोस्ट-अम्बिकापुर जिला-सरगुजा, छ0ग0

6 निलेश सिंह आत्मज स्वर्गीय निरंजन सिंह, उम्र लगभग 50 वर्ष, जाति क्षत्रिय पेशा जमीन क्रय-विक्रय का व्यवसाय निवासी सरपंच पारा, केन्द्रीय विद्यालय के सामने ग्राम भगवानपुरखुर्द, थाना गांधीनगर, अम्बिकापुर, जिला सरगुजा छ0ग0

7 राजीव अग्रवाल आत्मज श्री सीताराम अग्रवाल उम्र लगभग 50 वर्ष, जाति अग्रवाल पेशा-जमीन क्रय-विक्रय का व्यवसाय निवासी केदारपुर अम्बिकापुर, जिला-सरगुजा छत्तीसगढ ।

अभियुक्तगण आवेदकगण अंतर्गत धारा 156 (3) दण्ड प्रक्रिया संहिता अपराध धारा 420, 467, 468, 471, 120 (बी), 34 भारतीय दण्ड विधान परिवादी की ओर से निम्न विनय है-01 यह कि परिवादिनी क्रमांक 1 गांधीनगर अम्बिकापुर जिला-सरगुजा छ0ग0 तथा परिवादिनी क्रमांक 2 भैयाथान जिला-सूरजपुर, छ0ग0 की निवासी है जो देहाती और अनपढ महिला है तथा गृहणी है।

अभियुक्त क्रमांक 1 गांधीनगर, अम्बिकापुर अभियुक्त क्रमांक 2 ग्राम सरगवाँ अम्बिकापुर अभियुक्त क्रमांक 3 भगवानपुर, अम्बिकापुर, अभियुक्त क्रमांक 4 नमनाकला, अम्बिकापुर अभियुक्त क्रमांक 5 गोधनपुर अम्बिकापुर, अभियुक्त क्रमांक 6 भगवानपुरखुर्द तथा अभियुक्त क्रमांक 7 केदारपुर अम्बिकापुर जिला-सरगुजा छ0ग0 के निवासी हैं। 02. यह कि अभियुक्त क्रमांक 1 पेशे से अधिवक्ता है जो शेष अभियुक्तगणों के साथ मिलकर जमीन खरीद-बिक्री का काम करता है।

सभी अभियुक्तगणों का मुख्य व्यवसाय ग्रामीण क्षेत्रों के जमीनों का पता करना, किस भूमि पर मुकदमा चल रहा है यह भी पता करना और उन भूमियों में के स्वामियों से सम्पर्क कर उन्हें गुमराह कर उनकी जमीनों को कम दाम में खरीदकर, प्लाटिंग कर उसे अधिक दामों में बेचने का कार्य किया जाता है। सभी अभियुक्तगण पैसे से काफी धनाढ्य हैं सभी अभियुक्तगणों की राजनीति में भी एक अच्छी पैठ है, शासन किसी का भी हो, कांग्रेस हो या भाजपा सभी अभियुक्तगणों की अच्छी-खासी पहुंच है।

साथ ही सरगुजा जिले के दबंग लोगों में सभी अभियुक्तगणों का नाम है। 03 यह कि परिवादिनीगण की पैतृक भूमि ग्राम भगवानपुरखुर्द, तहसील-अम्बिकापुर, जिला-सरगुजा, छ0ग0 में स्थित है। जिसका खसरा नंबर 44/1, 55/1, 119/2, 122/4 125/244/255/2, 119/2, 122/1 तथा 125/1 जिसका रकबा क्रमशः 0.07, 0.060, 0.0480, 0.680, 0.300, 0.090 0.050, 0.340 0.500 तथा 0300 हे0 कुल रकबा 2.870 हे0 है। यह भूमि परिवादिनीगण की पैतृक भूमि थी।

राजस्व अभिलेखों में परिवादिनीगण के भाई रघुवर कुशवाहा और छत्रकुश कुशवाहा का नाम दर्ज था, परिवादिनीगण का नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज नहीं था राजस्व अभिलेखों में परिवादिनीगण अपना नाम, अपने भाईयों के साथ दर्ज कराकर, बंटवारा भी कराना चाहती थी, जिसे लेकर परिवादिनीगण के भाई सहमत नहीं थे। जिस हेतु परिवादिनीगण अभियुक्त क्रमांक 1 से सम्पर्क किए, जो पेशे से अधिवक्ता है।

परिवादिनीगण, अभियुक्त क्रमांक 1 पर अटूट विश्वास कर अपने सभी कागजात उन्हें सौंप दिए, और पूरे प्रकरण की जबाबदारी भी उन्हें दे दिए। अभियुक्त क्रमांक 1 के द्वारा परिवादिनीगण के प्रकरण को समझ, नाम दर्ज कराने तथा बंटवारा के प्रकरण में अपना वकालतनामा पेश कर पैरवी करना शुरू किए। 04 यह कि कुछ दिनों के बाद अभियुक्त क्रमांक के पास जब परिवादिनीगण गई तो अभियुक्त क्रमांक 1 के द्वारा यह कहा गया कि देखों तुम लोगों का केश कठिन है।

इसमें अधिक पैसा लगेगा राजनीतिक पहुंच वाले लोगों से पैसा ला पाओगे तुम्हारा भाई तो जमीन को हड़प लिया डूबने के बराबर हैं कहकर काफी समझाया और यह कह कि तुम लोगों के हिस्सा का एग्रीमेंट मैं किसी दबंग व्यक्ति से करा देता हूँ तुम लोगों को पैसा मिल जाएगा, परिवादिनीगण अपने अधिवक्ता की बातों से सहमत होकर अपने हक की भूमि के विक्रय का अनुबंधपत्र निष्पादित करने को तैयार हो गए। 05 यह कि अभियुक्त क्रमांक 1 अपने भू-माफिया साथीगणों से बातचीत कर परिवादिनीगण को बुलाकर उनके हिस्से की सम्पूर्ण भूमि का विक्रय अनुबंधपत्र अभियुक्त क्रमांक 7 के पक्ष में तैयार दिनांक 22.05.2015 को करवाया।

जिस भूमि विक्रय अनुबंध की कण्डिका 4 अवलोकनीय है- जिसमें यह लिखा है- वादभूमि के राजस्व पत्रों पर नाम दर्ज कराना और उसके पश्चात् विभाजन की कार्यवाही सुनिश्चित करना यह द्वितीयपक्ष का कार्य रहेगा एवं आर्थिक रूप से एवं हर प्रकार का मदद एवं सहयोग द्वितीय पक्ष करेगा। प्रथम पक्षगण नामांतरण एवं बंटवारा की कार्यवाही हेतु द्वितीयपक्ष जब और जहां उपस्थित होने के लिए कहेंगें प्रथमपक्ष आवश्यक रूप से उपस्थित होकर अपने पक्ष का कार्य पूर्ण करेंगें।

आवश्यकतानुसार हर प्रकार के अपील, पुनरीक्षण, वाद-जबाब इत्यादि की समस्त कार्यवाही में प्रथम पक्षगण द्वितीय पक्षगण का मदद करेंगे। बंटवारा और नामांतरण की कार्यवाही में जो भी व्यय होगा उस व्यय को अनुबंधित भूमि के मूल्य में से कम करके प्रथम पक्षगण प्राप्त करने के अधिकारी होंगें। अनुबंध की कण्डिका 5 भी महत्वपूर्ण है जिसमें यह लिखा है कि यह कि अनुबंधित भूमि को प्रथमपक्षगण द्वितीयपक्षगण के पक्ष में एक मुश्त अंकन 175,00,00 (एक करोड़ पचहत्तर लाख) रूपए में अपने अंश जो वर्तमान राजस्व पत्रों से परिलक्षित है, उसके अनुसार साढ़े तीन एकड़ भूमि को विक्रय करने का सौदा तय किए हैं।

अनुबंध की कण्डिका 6 में यह भी उल्लेखित है कि राजस्व प्रपत्रों में प्रथमपक्षगण का नाम दर्ज होने के बाद उपपंजीयक कार्यालय सूरजपुर या अम्बिकापुर में उपस्थित होकर पंजीबद्ध भूमि विक्रयपत्र निष्पादित करेंगें और निष्पादन के समय 25,00,000 (पच्चीस लाख) रूपए का भुगतान करेंगें। यहां श्रीमान यह ध्यान देने योग्य बात है कि अभियुक्त क्रमांक 1 ने अपने साथ अभियुक्त क्रमांक 7 के पक्ष में यह नोटरी से अनुबंध कराकर बिना किसी राशि का भुगतान कराए परिवादिनीगण को भुगतान कराकर फंसाने का कार्य किया गया है ताकि वह फंसे रहे और किसी अन्य से अनुबंध निष्पादित न कर सके।

जो प्रथमदृष्टया ही एक साजिश और धोखाधड़ी है। इस अनुबंध में अभियुक्त क्रमांक 2 और 5 गवाह हैं जो पूरे घटनाक्रम में है। 06 यह कि श्रीमान्। जब परिवादिनीगण का नाम दर्ज हो गया तब अभियुक्तगण सभी एक राय होकर परिवादिनीगण के अनपढ़ और देहाती होने का फायदा उठाते हुए फिर से एक भूमि बिक्रीनामा अनुबंध परिवादिनीगण से दिनांक 21.11.2016 को निष्पादित करवाया गया। यह अनुबंध बकायदा उपपंजीयक कार्यालय अम्बिकापुर में निष्पादित हुआ।

जिसमें प्रथमपक्ष में परिवादिनीगण और द्वितीयपक्ष में अभियुक्त क्रमांक 2, 3, 4, 5 और 6 हैं और गवाह के रूप में पूर्व में नोटरी के समक्ष निष्पादित अनुबंधपत्र ग्राहिता अभियुक्त क्रमांक 7 बना है। यह अनुबंधपत्र 1,13,00,000 (एक करोड़ तेरह लाख) रूपए में प्रथमपक्ष की सम्पूर्ण उक्त भूमि के संबंध में निष्पादित हुआ है। जिसमें 5,50,000 (पांच लाख पचास हजार) रूपए की राशि देना लिखा गया है और राशि की पावती के रूप में इसी अनुबंध को माना गया है। जबकि परिवादिनीगण को मात्र 50,000 (पचास हजार) रूपए की राशि अनुबंध के समय प्रदान की गई है।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कानून के मुताबिक उक्त राशि को चेक के माध्यम से दिया जाना चाहिए था, चेक के माध्यम से राशि का भुगतान न किया जाना इस बात का प्रमाण है कि अनुबंध में दर्शित राशि का भुगतान परिवादिनीगण को नहीं किया गया है। जो बेईमानी और धोखाधड़ी की श्रेणी में आता है, जिस कृत्य को भू-माफिया, मास्टरमाइंड अभियुक्त क्रमांक 1 के नेतृत्व में सभी अभियुक्तगण ने एक साथ मिलकर अंजाम दिया है यहा यह उल्लेखनीय है कि अभियुक्तगण ने प्रथम अनुबंधपत्र 1,75,00,000 (एक करोड़ पचहत्तर लाख) रूपए में तथा उसी भूमि का द्वितीय अनुबंधपत्र 1,13,00,000 (एक करोड़ तेरह लाख) रूपए में करवाया, जबकि ये परिवादिनीगण अशिक्षित हैं और अपने अधिवक्ता अभियुक्त क्रमांक 1 पर अटूट विश्वास रख रहे थे जिसका नाजायज फायदा उठाकर अभियुक्त क्रमांक 1 अपने अन्य सहयोगी अभियुक्तगण के साथ मिलकर पूरी साजिश क अंजाम दिए हैं।

परिवादिनीगण के अधिवक्ता जहां कहते वहां परिवादिनीगण अपना हस्ताक्षर कर देते थे। 07. प्रथम विक्रयपत्र-यह कि उपरोक्त कृत्य के बाद दिनांक 25.09.2017 को परिवादिनी क्रमांक 1 चन्द्रमणि कुशवाहा से अभियुक्त क्रमांक 3. 4. 5 और 6 ने दो प्लाट खसरा नंबर 55/1 और 122/4 रकबा क्रमशः 0.06 व 0.59 आरे भूमि का विक्रयपत्र निष्पादित करवाया जो उपपंजीयक कार्यालय अम्बिकापुर में पंजीकृत हुआ। इस अनुबंधपत्र में अनुबंधित दो प्लाटों का कीमत 11,50,000.00 (ग्यारह लाख पचास हजार) रूपए चेक क्रमांक 0524 के माध्यम से भुगतान किया गया। इसमें भी गवाह वही अभियुक्त क्रमांक 7 है जो भू-माफिया है।

द्वितीय विक्रयपत्र-इसी दिनांक को परिवादिनी क्रमांक 2 कलावती से तीन प्लाट जिसका खसरा नंबर 55/2, 122/7 व 122/8 रकबा क्रमशः 0.05, 0.43 व 0.09 आरे भूमि का विक्रय पत्र अभियुक्त क्रमांक 3, 4, 5 व 6 ने निष्पादित करवाया जो उपपंजीयक कार्यालय अम्बिकापुर में ही निष्पादित हुआ। इस विक्रयपत्र में तीनों प्लाटों का कीमत 10,08,000.00 (दस लाख आठ हजार) रूपए चेक क्रमांक 041444 के माध्यम से भुगतान किया जाना उल्लेखित है यह राशि परिवादिनी को प्राप्त हो गई है।

इसमें भी गवाह भू-माफिया अभियुक्त क्रमांक 7 है। तृतीय विक्रयपत्र दिनांक 16.11.2017 को परिवादिनी क्रमांक 1 चन्द्रमणि कुशवाहा से अभियुक्त क्रमांक 3, 4, 5 व 6 ने एक प्लाट जिसका खसरा नंबर 44/1 रकबा 0.07 आरे भूमि है का विक्रयपत्र निष्पादित करवाया जिसमें गवाह अब्दुल रव और जितेन्द्र सोनकर है। जो उपपंजीयक कार्यालय, अम्बिकापुर में निष्पादित हुआ है। इस विक्रयपत्र में प्लाट का कीमत 3,00,000 (तीन लाख) रूपए चेक क्रमांक 045351 के माध्यम से प्राप्त होना बताया गया है।

इसमें परिवादिनी को 3,00,000 (तीन लाख) रूपए मिला है। चतुर्थ विक्रयपत्र दिनांक 16.11.2017 को परिवादिनी क्रमांक 2 कलावती से अभियुक्त क्रमांक 3. 4. 5 व 6 ने खसरा नंबर 44/2 रकबा 0.09 आरे भूमि है का विक्रयपत्र निष्पादित करवाया, जिसमें गवाह अब्दुल रव और जितेन्द्र सोनकर है। जो उपपंजीयक कार्यालय, अम्बिकापुर में निष्पादित हुआ है। इस विक्रयपत्र में का कीमत 10,08,000.00 (दस लाख आठ हजार) रूपए चेक क्रमांक 41451 के माध्यम से दिया जाना बताया गया है जिसमें से परिवादिनी क्रमांक 2 को इस प्लाट में कुल 3,00,000 (तीन लाख) रूपए ही मिले हैं।

इस तरह अभियुक्तगण ने प्रथम अनुबंध में उल्लेखित राशि के बाद में अनुबंध पर प्लाटों का एक करोड़ पचहत्तर लाख रूपए में करवाया उसके बाद उसी प्लाट का एक करोड़ तेरह लाख रूपए में अनुबंध करवाकर उसके बाद विक्रयपत्र निष्पादित करते समय अभियुक्तगण ने कुल चालीस लाख सोलह हजार रूपए ही भुगतान किया है। अभियुक्तगण द्वारा एक राय होकर परिवादिनी के साथ धोखाधड़ी और बेईमानी किया गया है। जो कि आपराधिक कृत्य है और भारतीय दण्ड विधानों के प्रावधानों के अनुसार दण्डनीय है।

यहां यह भी परिवादिनी स्पष्ट कर रही है कि जिस भूमि पर कब्जा किया है और जिस भूमि की रजिस्ट्री अभियुक्तगण के द्वारा परिवादिनी को धोखा देकर करवाई गई है उन भूमि पर अभियुक्तगणों के द्वारा परिवादिनी के देहाती और अनपढ़ होने का फायदा उठाकर एक ओर अनुबंधपत्र पंकज श्रीवास्तव नाम के व्यक्ति को गुमराह करके करवाया गया था, पंकज श्रीवास्तव को जब पूरे मामले की जानकारी हुई तब पंकज श्रीवास्तव ने इस अपराध दर्ज हुआ है।

08 यह कि एक आश्चर्यजनक तथ्य यह भी सामने आया है कि परिवादिनी सहित अभियुक्त क्रमांक 1 व 2 पर भी अभियुक्त क्रमांक 1 जो अधिवक्ता है ने दिनांक 27 सितम्बर 2016 को दिनेश लाल और बालमुकुन्द शर्मा के नाम से भूमि विक्रय हेतु अनुबंधपत्र निष्पादित करवाया है जिसमें एक प्लाट 44/1 में से 1.50 एकड़ भूमि एक करोड़ रूपए में विक्री करने का अनुबंध है और तो और श्रीमान् अग्रिम राशि दस लाख रूपए लेना भी बताया गया है।

जिसमें आठ लाख रूपए चेक के माध्यम से और नगद दो लाख रूपए का लिना जाना बताया गया है। जिसमें आठ लाख रूपए चेक के माध्यम से और नगद दो लाख रूपए का लिना जाना बताया गया है। यहां यह परिवादिनी क्रमांक 1 चन्द्रमणि कुशवाहा के द्वारा माननीय न्यायालय के समक्ष यह स्पष्ट रूप से अभिवचन किया जा रहा है कि परिवादिनी क्रमांक 1 का इस अनुबन्धपत्र में हस्ताक्षर नहीं है। परिवादिनी क्रमांक 1 का हस्ताक्षर फर्जी रूप से तैयार किया गया है जो देखने से प्रथमदृष्ट्या ही कूटरचना प्रतीत हो रहा है। इस अनुबन्धपत्र का प्रयोग कर अभियुक्तगण ने एक व्यवहारवाद भी परिवादिनी क्रमांक के विरूद्ध पेश करवा दिया गया है।

जो माननीय न्यायालय में विचरण में है। यह भी कृत्य सभी अभियुक्तगण के साजिश का परिणाम है ताकि परिवादिनी फंसे रहे और इन अभियुक्तगण के कृत्य न उजागर हो।

09 यह कि अभियुक्तगण, परिवादिनीगण से ‘परिवादिनीगण के हक व स्वामित्व की भूमि का 1,75,00000 (एक करोड़ पचहत्तर लाख) रूपए में अनुबंध कराकर, मात्र 40,16,000 (चालीस लाख सोलह हजार) रूपए का भुगतान कर बेईमानी कर बंटवारा और नामांतरण कराने हेतु कहा, लेकिन अभियुक्त क्रमांक 1 सारी बातों को समझकर कार्य को कराने में काफी पैसा खर्च होने और राजनीतिक हस्तक्षेप करवाने की बात कहकर परिवादिनीगण को गुमराह कर कम दाम में पूरी जमीन को बेचवा दिया जो एक अधिवक्ता के कृत्य के ठीक विपरीत है।

अनुबंध और विक्रयपत्र के समय में कुल 28,08,000 (अट्ठाईस लाख आठ हजार) रूपए तथा धीरे-धीरे 12,08,000 (बारह लाख आठ हजार) रूपए दिए इस तरह कुल 40,16,000 (चालीस लाख सोलह हजार) रूपए का ही भुगतान किया है। अभियुक्त क्रमांक 1 के द्वारा उपरोक्त कृत्य अपने-आपको काफी बचाते हुए किया गया है कहीं भी अनुबंधपत्र या विक्रयपत्र में गवाह नहीं बना है लेकिन वह प्रत्येक स्थलों पर परिवादिनी को बुलाता है और सारे कृत्यों को अंजाम दिया है।

परिवादिनीगण अभियुक्त क्रमांक 1 पर भरोसा करती रही लेकिन वह परिवादिनीगण के साथ अपने साथियों से मिलकर धोखाधड़ी व बेईमानी किया है। जो कि आपराधिक कृत्य है।

10. यह कि परिवादिनीगण को जब अभियुक्त क्रमांक 1 सहित शेष अभियुक्तगणों के कृत्यों की जानकारी लगी तब परिवादिनीगण द्वारा पुलिस थाना सदर था पुलिस महानिरीक्षक को दिनांक 10.06.2018, 16.02.2019, 07.07.2023 तथा पुलिस अधीक्षक को दिनांक 06.07.2023, 21.08.2023 तथा शिकायत पर न तो थाना प्रभारी ने, न तो पुलिस अधीक्षक ने और न ही पुलिस महानिरीक्षक ने कोई जांच की है। यहां तक कि परिवादिनीगण को थाने में तक नहीं बयान लेने के लिए नहीं बुलाया गया है। अभियुक्तगण सभी काफी पैसे वाले लोग हैं जिनसे लोग खौफ खाते हैं, साथ ही थाना पुलिस को ये पैसे के दम पर मिला लेते हैं इस कारण इनके विरुद्ध आज तक कार्यवाही नहीं हुई।

तक कोई जांच नहीं हुई है। जिससे अभियुक्तगण का हौसला काफी बुलन्द है। कार्यवाही न होने की स्थिति में मजबुर होकर परिवादिनीगण के द्वारा यह परिवाद प्रस्तुत कर रही है। साथ ही माननीय न्यायालय से यह प्रार्थना करती है कि दण्ड प्र०सं० की संहिता की धारा 156 के तहत थाना प्रभारी अम्बिकापुर को यह निर्देश दें कि यह अभियुक्तगण के विरूद्ध प्रथमसूचना दर्ज कर अभियोजित करने की कार्यवाही करें।

11 यह कि परिवादिनी अपने परिवाद के समर्थन में आवश्यक दस्तावेज सुचीनुसार संलग्न कर रही है। साथ ही परिवाद के समर्थन में अपना स्वयं का शपथपत्र भी निष्पादित कर इस परिवाद के साथ संलग्न कर पेश की है।

12 यह कि परिवादिनीगण का परिवाद माननीय न्यायालय के क्षेत्राधिकार में है। पुलिस प्रशासन के द्वारा कोई कार्यवाही अभियुक्तगण के विरूद्ध न करने से परिवादिनीगण मजबुर होकर माननीय न्यायालय के शरण में आई है। अतः माननीय न्यायालय से विनम्र निवेदन है कि पुलिस थाना अम्बिकापुर को यह निर्देश जारी किया जाए कि वह अभियुक्तगण के विरूद्ध भारतीय दण्ड विधान की धारा 420 467 468 471, 120 बी व 34 का अपराध पंजीबद्ध कर जांच करे और अभियुक्तगण के विरूद्ध अभियोगपत्र प्रस्तुत करे। दिनांक 09.1.24 हस्ताक्षर अस्पष्ट अधिवक्ता हेतु परिवादिनीगण हस्ताक्षर स्पष्ट चन्द्रमणी हस्ताक्षर शपथकर्ता।

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