हसदेव परसा कोल ब्लॉक में पेड़ों की कटाई से हो रही जीव-जंतुओं की मौत : Death of Animals

Death of Animals

Death of Animals: सरगुजा – अम्बिकापुर : छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य क्षेत्र के परसा कोल ब्लॉक में कोयला खनन के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की जा रही है, जिससे इलाके की जैव विविधता और वन्य जीवों का जीवन खतरे में पड़ गया है। बीते कुछ दिनों में परसा, पीईकेबी और केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक के जंगलों में हजारों पेड़ों को काटा गया है, जिसके चलते स्थानीय आदिवासी समुदाय, पर्यावरण प्रेमी और सामाजिक संगठन लगातार विरोध जता रहे हैं।

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Death of Animals भारी संख्या में पेड़ों की कटाई

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, हसदेव क्षेत्र में अब तक करीब 94,000 से अधिक पेड़ काटे जा चुके हैं और आने वाले समय में लगभग 2.75 लाख पेड़ों की कटाई की योजना है। अकेले परसा कोल ब्लॉक में 96,000 से ज्यादा पेड़ों को हटाया जा रहा है, जबकि अन्य खदान क्षेत्रों में भी लाखों पेड़ों पर खतरा मंडरा रहा है। अनुमान है कि इन परियोजनाओं के चलते कुल 10 से 12 लाख पेड़ों की बलि दी जा सकती है।

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वन्य जीवों के अस्तित्व पर खतरा

इस अंधाधुंध कटाई की वजह से हसदेव के घने जंगलों में रहने वाले वन्य जीवों का प्राकृतिक आवास तेजी से खत्म हो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे न केवल पक्षी, सरीसृप और छोटे जीव, बल्कि हाथी, तेंदुआ जैसे बड़े वन्य प्राणी भी प्रभावित हो रहे हैं। कई जीव-जंतुओं के विस्थापित होने और मौत की खबरें सामने आ रही हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों की रिपोर्टों में भी मानव-वन्यजीव संघर्ष और जैव विविधता के नुकसान को लेकर गंभीर चिंता जताई गई है।

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ग्रामीणों और आदिवासी समुदायों का कहना है कि उन्होंने कभी भी पेड़ों की कटाई या खनन के लिए सहमति नहीं दी है। वे लगातार सरकार और कंपनियों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले को लेकर सुनवाई चल रही है। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र, राज्य सरकार और संबंधित कंपनियों से जवाब मांगा है और परसा कोल ब्लॉक में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने की मांग की गई है।

हसदेव अरण्य के जंगलों में कोयला खनन के लिए हो रही पेड़ों की कटाई से न केवल पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा है, बल्कि जीव-जंतुओं की जान पर भी बड़ा खतरा मंडरा रहा है। स्थानीय निवासियों, पर्यावरणविदों और सामाजिक संगठनों ने सरकार से मांग की है कि इस विनाशकारी प्रक्रिया को तुरंत रोका जाए और हसदेव के जंगलों को बचाया जाए।

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