छत्तीसगढ़ शिक्षक युक्तिकरण नीति पर विवाद: शालेय शिक्षक संघ 28 मई को करेगा मंत्रालय घेराव : Chhattisgarh Teacher Rationalization Policy

Chhattisgarh Teacher Rationalization Policy

Chhattisgarh Teacher Rationalization Policy:रायपुर :छत्तीसगढ़ शिक्षक पुनर्संयोजन नीति पर असहमति, शिक्षक संघ का 28 मई को मंत्रालय के समक्ष प्रदर्शन, छत्तीसगढ़ में शिक्षकों की पुनर्संयोजन (रैशनलाइजेशन) नीति को लेकर असंतोष गहराता जा रहा है। राज्य के लगभग 23 शिक्षक संगठनों ने इस नीति के विरोध में 28 मई 2025 को रायपुर स्थित मंत्रालय (महानदी भवन) के बाहर विरोध-प्रदर्शन करने की घोषणा की है।

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Chhattisgarh Teacher Rationalization Policy विवाद के प्रमुख कारण

शिक्षक संगठनों का मानना है कि वर्तमान पुनर्संयोजन नीति में कई त्रुटियां हैं। यदि सरकार ने इन कमियों को दूर नहीं किया और 2008 के सेटअप में बदलाव किया, तो वे मजबूरन आंदोलन करेंगे। संगठनों का आरोप है कि पुनर्संयोजन के नाम पर विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या घटाई जा रही है, जिससे खासकर ग्रामीण इलाकों की शिक्षा व्यवस्था प्रभावित होगी। शिक्षक यह मांग कर रहे हैं कि 2008 के ढांचे के अनुसार ही शिक्षकों की तैनाती और संख्या निर्धारित की जाए, जिसमें प्राथमिक विद्यालयों में कम-से-कम तीन और मिडिल स्कूलों में पांच शिक्षक अनिवार्य हैं। संगठन रिक्त पदों पर नई नियुक्ति की मांग कर रहे हैं, न कि वर्तमान शिक्षकों का स्थानांतरण।

शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि पुनर्संयोजन के तहत कोई भी विद्यालय बंद नहीं किया जाएगा और न ही किसी शिक्षक की नौकरी जाएगी। विभाग का कहना है कि इस नीति का उद्देश्य सभी विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात को संतुलित करना और जिन स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं, वहां शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। राज्य में लगभग 13,000 अतिरिक्त शिक्षक हैं, जिन्हें आवश्यकता अनुसार अन्य विद्यालयों में भेजा जाएगा।

 शिक्षक संघों ने ब्लॉक, संकुल और जिला स्तर पर बैठकें और जनसंपर्क अभियान शुरू कर दिए हैं ताकि विरोध को व्यापक समर्थन मिल सके। 28 मई को रायपुर के मंत्रालय के सामने सामूहिक प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें बड़ी संख्या में शिक्षक भाग लेंगे। छत्तीसगढ़ में शिक्षक पुनर्संयोजन नीति को लेकर सरकार और शिक्षक संगठनों के बीच मतभेद बढ़ते जा रहे हैं। शिक्षक संगठन जहां नीति में संशोधन और अपने अधिकारों की रक्षा की मांग कर रहे हैं, वहीं सरकार अपने फैसले पर कायम है। अब सभी की निगाहें 28 मई को होने वाले मंत्रालय घेराव पर टिकी हैं, जो राज्य की शिक्षा नीति और व्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।

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