Chhattisgarh Presents First Handwritten Budget: रायपुर- छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज एक ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला जब राज्य के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने पूर्ण रूप से हस्तलिखित बजट पेश किया। यह पहली बार है जब कंप्यूटर-टाइप्ड बजट की जगह वित्त मंत्री के हाथों से लिखा गया, बजट सदन में प्रस्तुत किया गया। यह बजट 100 पन्नो का है, जिसे पूरी तरह हाथ से लिखा गया है। इस कदम को पारंपरिक तरीकों की ओर वापसी और मौलिकता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।

Chhattisgarh Presents First Handwritten Budget: परंपरा और मौलिकता को बढ़ावा
वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने अपने इस निर्णय के पीछे की सोच को साझा करते हुए कहा कि डिजिटल युग में हस्तलिखित बजट पेश करना एक अलग पहचान और ऐतिहासिक महत्व रखता है। उन्होंने इसे पारंपरिक मूल्यों की पुनर्स्थापना और प्रशासनिक पारदर्शिता को बढ़ावा देने का प्रयास बताया।
“आज के समय में जब हर चीज डिजिटल हो रही है, तब हस्तलिखित बजट पेश करना यह दर्शाता है कि सरकार पारंपरिक मूल्यों को भी संजोए रखना चाहती है। इससे न केवल प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता आएगी, बल्कि यह एक अनूठा और ऐतिहासिक पहल भी बनेगा,” वित्त मंत्री ने कहा।
Chhattisgarh Presents First Handwritten Budget: नए तरीके से बजट पेश करने की पहल
छत्तीसगढ़ में अब तक केवल कंप्यूटर-टाइप्ड बजट ही पेश किए जाते रहे हैं, लेकिन इस बार इसे अनोखे और पारंपरिक अंदाज में तैयार किया गया। इस बजट को पूरी तरह हाथ से लिखने के पीछे सरकार की सोच यह भी थी कि यह विधायकों और जनता से सीधे जुड़ाव का एक माध्यम बन सके।
बजट दस्तावेज तैयार करने के लिए आमतौर पर डिजिटल साधनों का उपयोग किया जाता है, जिससे टाइपिंग की सुविधा रहती है और संशोधन करना भी आसान होता है। लेकिन हस्तलिखित बजट में यह प्रक्रिया थोड़ी अधिक समय लेने वाली थी, फिर भी वित्त मंत्री ने इसे अपने हाथों से लिखने का संकल्प लिया और इसे सफलतापूर्वक पूरा भी किया।
Chhattisgarh Presents First Handwritten Budget: क्या हैं इस बजट की प्रमुख विशेषताएँ?
- पारदर्शिता और मौलिकता: बजट को हस्तलिखित रखने से यह पूरी तरह पारदर्शी और प्रमाणिक बना रहेगा।
- ऐतिहासिक पहल: छत्तीसगढ़ की विधानसभा में पहली बार ऐसा किया गया है, जो इसे ऐतिहासिक बनाता है।
- संस्कृति और परंपरा को बढ़ावा: डिजिटल युग में पारंपरिक तरीके से बजट पेश करना एक सांस्कृतिक संदेश भी देता है।
- व्यक्तिगत जुड़ाव: हस्तलिखित बजट से वित्त मंत्री ने इसे एक व्यक्तिगत और भावनात्मक पहलू से जोड़ा है।
जनता और नेताओं की प्रतिक्रिया
वित्त मंत्री की इस पहल को जनता और अन्य नेताओं से मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ मिल रही हैं। कई लोगों ने इसे एक नई शुरुआत बताया, जबकि कुछ ने इसे डिजिटल तकनीक से पीछे हटने का संकेत भी माना।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा, “यह बजट पारदर्शिता और प्रशासनिक ईमानदारी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने का भी प्रतीक है।”
वहीं, विपक्षी दलों ने इस पर सवाल उठाए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, “सरकार को सिर्फ दिखावे के बजाय ठोस विकास कार्यों पर ध्यान देना चाहिए। बजट का हाथ से लिखा होना उतना मायने नहीं रखता जितना कि उसमें किए गए प्रावधान।”
क्या यह परंपरा आगे भी जारी रहेगी?
इस ऐतिहासिक पहल के बाद अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या आने वाले वर्षों में भी इस परंपरा को जारी रखा जाएगा। वित्त मंत्री ने संकेत दिया कि यदि यह प्रयास सफल और प्रभावी साबित होता है, तो भविष्य में भी इसे अपनाया जा सकता है।
“अगर यह तरीका जनता और विधानसभा को अधिक प्रभावी लगता है, तो हम इसे आगे भी जारी रखेंगे,” उन्होंने कहा।
छत्तीसगढ़ के बजट इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण और अनूठी घटना है। हस्तलिखित बजट ने राज्य की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है कि पारंपरिक तरीकों को अपनाने और प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़ाने के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए। अब देखना यह होगा कि यह पहल जनता और शासन व्यवस्था में कितना प्रभाव डालती है।
बजट के अन्य पहलुओं और उसमें किए गए वित्तीय प्रावधानों पर विस्तृत चर्चा आगे की जाएगी। लेकिन एक बात तो तय है कि यह बजट आने वाले वर्षों में भी याद रखा जाएगा।
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