Abha App Server Problem: अम्बिकापुर : अंबिकापुर के अस्पतालों में आभा (ABHA) ऐप के सर्वर में लगातार तकनीकी खराबी के कारण मरीजों और उनके परिजनों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। रोजाना ओपीडी काउंटरों पर लंबी कतारें लग रही हैं, क्योंकि ऑनलाइन टोकन जनरेट नहीं हो पाने के कारण कई मरीज इलाज के लिए वापस लौट रहे हैं।

Abha App Server Problem प्रमुख समस्याएँ
- आभा ऐप के सर्वर में बार-बार तकनीकी गड़बड़ी के कारण ऑनलाइन टोकन जारी नहीं हो पा रहे हैं।
- मरीज और उनके साथ आए लोग सुबह से ही काउंटरों पर जमा हो जाते हैं, लेकिन सर्वर डाउन रहने के कारण पंजीकरण नहीं हो पाता।
- अस्पताल प्रशासन को मैनुअल टोकन व्यवस्था अपनानी पड़ रही है, लेकिन भीड़ अधिक होने के कारण सभी का इलाज संभव नहीं हो पा रहा।
- दूर-दराज से आए मरीजों को सबसे अधिक परेशानी हो रही है, जो बिना इलाज के लौटने को मजबूर हो रहे हैं।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
- अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि यह समस्या राज्य या केंद्र सरकार के सर्वर में तकनीकी खराबी के कारण उत्पन्न हुई है।
- आईटी विभाग को इस मुद्दे से अवगत कराया गया है और समाधान के लिए कार्य चल रहे हैं।
- फिलहाल मरीजों की सुविधा के लिए मैनुअल पंजीकरण या पारंपरिक तरीके से टोकन जारी किए जा रहे हैं, लेकिन इससे भीड़ और अव्यवस्था बनी हुई है।
संभाग के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय अम्बिकापुर
संभाग के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय अम्बिकापुर में इलाज के लिए पर्ची के पूर्व आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत आभा ऐप में टोकन लिए जाने की बाध्यता के चलते आदिवासी अंचल सरगुजा के गरीब मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। शासन के आदेश के तहत सौ प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने मेडिकल कॉलेज में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का काउंटर बना दिया गया है।

जहां समझाईश देने के साथ ही सबसे पहले मरीजों के पंजीयन के लिए मोबाइल पर कैसे टोकन लेना है यह जानकारी दी जा रही है। कई मरीज और परिजन ऐसे होते हैं जिनके पास एंड्राइड मोबाइल नहीं होता है वे काफी परेशान होते हैं और भटकते रहते हैं। सर्वर बाधा के चलते भी आभा ऐप में जानकारी भरने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है ।
और डिजिटल काउंटर में मरीजो और उनके परिजनों की भीड़ लगी रहती है। भीषण गर्मी के चलते मरीज और परिजन चिकित्सक से उपचार कराने के पूर्व ओपीडी पर्ची के लिए मोबाइल में आभा ऐप डाउनलोड करे मरीज का नाम, पता दर्ज करने के साथ ही टोकन प्राप्त करने के लिए मशक्कत करते रहते हैं।

सप्ताह में एक-दो दिन तो सर्वर की गति ठीक रहती है
बताया जा रहा है कि सप्ताह में एक-दो दिन तो सर्वर की गति ठीक रहती है, मगर अधिकांश दिवस सर्वर बाधा मरीजों के परेशानी का कारण बनती है और ओपीडी समय दो बजे तक भी ऐप में टोकन के लिए जानकारी नहीं भर पाने की स्थिति में मरीज खाली हाथ वापस लौटते हैं।
मरीजों और परिजनों का कहना है कि इस संबंध में चिकित्सालय प्रबंधन से कई बार शिकायत की जा चुकी है, मगर पहल करने के बजाय प्रबंधन कोई ध्यान नहीं दे रहा है। दूर दराज से आने वाले मरीजों और उनके परिजनों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
3-3 बार कतार में खा रहे धक्के
मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में ओपीडी पर्ची के लिए सबसे पहले आभा ऐप में पंजीयन और टोकन
के लिए मरीजों, परिजनों की कतार आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के काउंटर में लगती है। यहां कई घंटे धक्के खाने के बाद जब ऑनलाइन टोकन मिल जाता है, तब पर्ची के लिए पुनः काउंटर के सामने कतार में खड़े हो भीड़ में धक्के खाना पड़ता है। यहां भी काफी मशक्कत के बाद ओपीडी पर्ची मिल पाती है। इसके बाद मरीजों को तीसरी बार ओपीडी में के लिए भीड़ में धक्का खाना पड़ता है। मरीजों और उनके परिजनों का कहना है कि सर्वर बाधा की स्थिति में बगैर टोकन भी पच दिए जाने का प्रावधान किया जाना चाहिए।
रोज हो रहा विवाद
सर्वर बाधा की स्थिति में ओपीडी टाइम तक टोकन के लिए आभा ऐप में पंजीयन नहीं हो पाने की स्थिति में मरीज बगैर उपचार कराए खाली हाथ लौटने के लिए मजबूर होते हैं। ऐसी स्थिति में मरीज उनके परिजनों और स्वास्थ्य कर्मचारियों के बीच विवाद, तू-तू, मैं-मैं की स्थिति निर्मित हो रही है। मरीजों और उनके परिजनों का यह भी कहना है कि कई बार सुबह साढ़े दस बजे से ही सर्वर बाधा की स्थिति बनी रहती है। जिससे आभा ऐप में पंजीयन और टोकन का कार्य थम जाता है। बगैर ऐप में पंजीयन के उन्हें टोकन नहीं मिलता है, जिसके चलते उन्हें ओपीडी पर्ची भी नहीं मिल पाता है।
मजबूर नहीं कर रहे, काउंटर से ही पर्ची की है सुविधा
इस संबंध में अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरसी आर्या ने कहा कि आभा ऐप में पंजीयन व टोकन अनिवार्य है, मगर किसी मरीज को परेशानी होने पर इसके लिए बाध्य नहीं किया जाता है। उन्होंने बताया कि ऐप में पंजीयन कराने वाले कर्मचारियों को यह निर्देश दिया गया है कि ऑनलाइन टोकन में यदि लेट हो तो सीधे काउंटर से ओपीडी पर्ची बनवा लें।
उन्होंने कहा कि ऑनलाइन टोकन के अभाव में ओपीडी पची नहीं मिलने अथवा मरीज के बगैर जांच वापस लौटने संबंधित उन्हें कोई शिकायत नहीं मिली है।
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