Chhattisgarh Principal Promotion Case: बिलासपुर : छत्तीसगढ़ में लंबे समय से चले आ रहे प्राचार्य पदोन्नति विवाद की सुनवाई 9 जून को बिलासपुर उच्च न्यायालय में हुई। यह मामला 2019 और 2025 के पदोन्नति आदेशों तथा बीएड-डीएलएड से संबंधित विवादों के कारण लंबित है। इससे पहले कोर्ट ने 9 जून तक प्राचार्य पदों पर नियुक्ति और काउंसलिंग पर रोक लगा रखी थी और राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि इस दौरान कोई नियुक्ति न की जाए।

Chhattisgarh Principal Promotion Case
सुनवाई के दौरान जस्टिस रजनी सिंहा और जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डिवीजन बेंच ने मामले को अनावश्यक रूप से खींचे जाने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की। न्यायालय ने कहा कि बार-बार सुनवाई की तारीख बढ़ाना अब स्वीकार्य नहीं होगा। कोर्ट ने राज्य सरकार और शिक्षा विभाग को फटकार लगाते हुए कहा कि कोर्ट के आदेशों के बावजूद कई शिक्षकों को प्राचार्य पदों पर नियुक्ति कर दी गई, जो न्यायालय की अवमानना है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई 11 जून को होगी और यह सुनवाई अंतिम मानी जाएगी। न्यायालय ने राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है कि कितने शिक्षकों ने पद ग्रहण किया, किन अधिकारियों ने आदेश जारी किए और किन-किन स्थानों पर नियुक्तियां हुईं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अब इस मामले में किसी भी प्रकार की देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि पदोन्नति प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन हुआ है
राज्य सरकार ने कोर्ट में यह तर्क दिया कि प्रदेश के कई प्राचार्य पद रिक्त हैं और नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत से पहले इन पदों को भरना आवश्यक है ताकि स्कूलों का संचालन प्रभावित न हो। वहीं, याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि पदोन्नति प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन हुआ है, इसलिए मामले का निपटारा न्यायालय की निगरानी में ही किया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि प्राचार्य पदोन्नति विवाद में अब और विलंब स्वीकार्य नहीं होगा। 11 जून को होने वाली अंतिम सुनवाई के बाद न्यायालय अपना अंतिम निर्णय सुनाएगा, जिसका असर प्रदेश के हजारों शिक्षकों और स्कूल प्रशासन पर पड़ेगा।
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