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विष्णु देव साय के सुशासन में फर्जी पैरा मेडिकल का संचालन क्या प्रशासन दे रहा अनुमति ? साध्य इंस्टीट्यूट आफ पैरामेडिकल साइंस अंबिकापुर : Permission to Run Fake Paramedical Schools

Permission to Run Fake Paramedical Schools

Permission to Run Fake Paramedical Schools: अम्बिकापुर : मामला छत्तीसगढ़ के जशपुर एवं बलरामपुर का है जहां भोले भाले आदिवासी विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार साध्य इंस्टीट्यूट आफ पैरामेडिकल साइंस अंबिकापुर के द्वारा स्थानीय शासकीय स्कूलों में शासन द्वारा मान्यता प्राप्त बताकर एक स्कॉलरशिप प्रतियोगी परीक्षा का आयोजन किया जाता है। उक्त परीक्षा में सम्मिलित विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप प्रोग्राम के अंतर्गत स्कॉलरशिप का लालच देकर एक एक बच्चे से एक से डेढ़ लाख रुपए प्रतिवर्ष फीस वसूल किया जाता है।

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Permission to Run Fake Paramedical Schools

यह कार्य विगत 4 वर्षों से किया जा रहा है किंतु मुख्य परीक्षा के नाम पर ना तो आज तक किसी प्रकार की कोई शिक्षा दी गई है, और ना ही कोई परीक्षा का आयोजन किया गया है, जबकि बच्चों से विगत 4 वर्षों में 4 से 5 लाख रुपए वसूले जा चुके हैं। संस्थान द्वारा विद्यार्थियों को झांसा देकर उनके 10वीं एवं 12वीं के अंक सूची की मूल प्रति आधार कार्ड की मूल प्रति भी जमा करा ली गई है । यदि कोई पालक या विद्यार्थी इसकी शिकायत या विरोध करता है तो उसे धमकाया जाता है और 10वीं 12वीं की अंक सूची को जप्त करने की बात कही जाती है।

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आखिर शिक्षा विभाग एवं प्रशासन क्यों बैठे हैं आंख मूंदे ?

सोचने वाली बात है कि इस प्रकार की धोखाधड़ी में शासकीय स्कूलों का प्रयोग किया जा रहा है किंतु जिला शिक्षा अधिकारी को इस पर मौन बैठे हैं यदि शिक्षा विभाग कले द्वारा चुप्पी साधी गई है। तो आकांशा अध है कि कहीं ना कहीं उनके मुंह पर जिल करप्शन का ताला संस्थान द्वारा राज लगाया जा चुका है । इस प्रकार की संयु घटना दिन-दिन बढ़ती जा रही है कले शासन एक तरफ तो बच्चों के अच्छे संबं भविष्य शिक्षा एवं स्वास्थ्य की बात सम करता है।

कौन है इन सब के पीछे ?

वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ अप के मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र में इतना बड़ा बना अवैध कारोबार संचालित हो रहा है तो संवे क्या इस सुशासन कहें या दुशासन कि सोचते वाली बात है। फिलहाल निर्दे पीड़ितों द्वारा इसकी शिकायत जिला सर्वो प्रशासन एवं शिक्षा विभाग में की गई कह है। देखना यह है कि, प्रशासन इस पर पंचा कितना मेहरबान होता है। या गरीब बच्चों को न्याय मिलता है।

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